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सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ-२
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ-२
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इनी भी नि छै व उनी भी नि छै जन तुम सोचणा तनी भी नि छै-२
सच पूछा ता कनी भी नि छै क्या बताण कुछ हौरी छैइ
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ
लाखू कि भीड़ मा देखि छै, भीड़ मा छै पर एकी छै-२
बणिगे त बणिगे बिधातन अब नि बणाण कुछ हौरी छैइ
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ
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चाल ढाल अन्वार कु नि, जिकर रूप श्रींगार कु नि-२
झणि क्या बात उं आंख्युं मा पाण कुछ हौरी छैइ
बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ
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देख्ल्या ता देख्दै रैजैल्या सोच्ल्या ता सोच्दै रैजैल्या-२
कलम कंठ रुक गेनी गुण क्या गांण कुछ हौरी छैइ
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ
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बात बिचार बोलन बच्यांणम राष्याँण कुछ हौरी छैइ
सच माना न माना विंकी पछ्याँण कुछ हौरी छैइ
1 comment:
FULL FORMS OF EVERYTHING
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